Monday, 20 February 2017

राजस्थानी भाषा का इतिहास और आगे की चुनौतियाँ (भाग 2 )

इस ब्लॉग पोस्ट के प्रथम भाग में आपने राजस्थानी भाषा के इतिहास और उसके वितरण के बारे में पढ़ा अब आगे

राजस्थानी भाषा : कई बोलियों का समूह

राजस्थानी भाषा एक अकेली भाषा नहीं है किन्तु बहुत सी बोलियों का एक समूह है | इस भाषा में 9 से ज्यादा  बोलियों का संग्रह है जो की राजस्थान व इसके आस पास के इलाके में बोली जाती है
Rajasthani Language history and challenges


  • मारवाड़ी : यह राजस्थान में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है, अनुमान के अनुसार लगभग 4 से 4.5 करोड़ लोग मारवाड़ी बोलते है |  राजस्थान के मारवाड़ इलाके में यह भाषा मुख्यतया बोली जाती है |
  • मालवी :  मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में लगभग एक करोड़ लोग मालवी भाषा को बोलते है |
  • धुन्धारी : राजस्थान के धुंधार क्षेत्र में यह बोली बोली जाती है |
  • हाडौती : हाडौती क्षेत्र में रहने वाले 40 से 50 लाख लोग इस भाषा का प्रयोग करते है |
  • मेवाड़ी : मेवाड़ क्षेत्र के लगभग 50 लाख लोग मेवाड़ी भाषा बोलते है |
  • मेवाती : मेवात राजस्थान और हरियाणा के कुछ क्षेत्रो को सम्मिलित रूप से बोला जाता है जहाँ लगभग 5 लाख लोग इस भाषा को बोलते है |
  • शेखावाटी : इस क्षेत्र के लगभग 30 लाख लोग इस भाषा को बोलते है |
  • बागड़ी : हरियाणा के उत्तर पश्चिम इलाके, पंजाब के दक्षिणी भाग और उत्तरी राजस्थान के कुछ निवासी इस भाषा का उपयोग करते है |  
  • निम्बाड़ी : मध्य प्रदेश और राजस्थान के निमार क्षेत्र में यह भाषा लगभग 22 लाख लोगो द्वारा बोली जाती है | 



राजस्थानी भाषा को आधिकारिक दर्जा 

राजस्थानी भाषा भारतीय उप महाद्वीप की एक पुरातन भाषाओँ में एक है | बहुत सा साहित्य इस भाषा में लिखा गया है | ना केवल साहित्य बल्कि बहुत से लोकगीत, कहानियां और नाटक इत्यादि इसमें लिखे गए है | परन्तु इन सब के बावजूद अभी तक इस भाषा को सरकार से आधिकारिक दर्जा नहीं दिया गया है | सन 1873 में एक पश्चिमी विद्वान केल्लोग जिसने बाइबिल का हिंदी में अनुवाद किया उसने राजस्थानी भाषा को हिंदी की एक उप भाषा माना था | जॉर्ज ग्रियर्सन ने समस्त राजस्थानी बोलियों को सामूहिक तौर पर राजस्थानी भाषा का नाम दिया था |
आज राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलवाने के लिए काफी प्रयास किये जा रहे है | राजस्थानी भाषा को अब साहित्य अकादमी और ugc के द्वारा अलग भाषा माना जाता है यहाँ तक की अब बहुत सी यूनिवर्सिटी राजस्थानी भाषा को एक विषय के रूप में पढ़ा रही है | राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने भी राजस्थानी भाषा को अपने एक वैकल्पिक विषय के रूप में अपने कोर्स में शामिल किआ हैं |
हालाँकि  अभी तक राष्ट्रीय मान्यता को दिलवाने के लिए और प्रयास किये जाने की आवश्यकता है, सन 2003 में राजस्थान विधान सभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमे राजस्थानी भाषा को भारत के संविधान की आठवी अनुसूची में शामिल करवाने की बात कही गयी | राजस्थान के समस्त 25 सांसदों और राजस्थान के वर्तमान मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे सिंधिया ने भी अपना सहयोग इस मुद्दे पर दिया है |

आगे की राह 

राजस्थानी भाषा आज बहुत सी चुनौतियों का सामना कर रही है  | कोई आधिकारिक काम राजस्थानी भाषा में नहीं हो रहा, जिसके कारण पढ़े लिखे लोग राजस्थानी भाषा की उपेक्षा करने लगे है | यहाँ तक की लोग अपने बच्चो को भी राजस्थानी भाषा नहीं सिखाना चाहते, बल्कि वे चाहते है की उनके बच्चे हिंदी अथवा अंग्रेजी में बात करें | इस उपेक्षा के कारण राजस्थानी भाषा ह्रास की और जा रही है  |
यह हम सभी राजस्थानियों की जिम्मेदारी है की इस भाषा को सरंक्षित करें | विशेष तौर पर युवा वर्ग इसमें अपनी एक भूमिका निभा सकता है  | युवा वर्ग को चाहिए की वो आपस में बातचीत में ज्यादा से ज्यादा राजस्थानी भाषा का प्रयोग करें , जिससे राजस्थानी भाषा को और अधिक बल मिल सके | राजस्थानी भाषा और राजस्थान की संस्कृति बहुत समृद्ध है, जरुरत है तो सिर्फ इसके संरक्षण की और  इसपे गर्व किये जाने की |

इस ब्लॉग का पहला भाग यहाँ पढ़े -  Rajasthani Language history and challenges (part 1)

इस ब्लॉग को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े - 

Rajasthani Language history and challenges (part 2)

No comments:

Post a Comment