भाषा और मानव सभ्यता |
मानव सभ्यत्ता की शुरुवात से मनुष्य की सबसे मूल आवश्यकताओं में एक आवश्यकता एक मनुष्य से दुसरे मनुष्य से संपर्क स्थापित करने की रही | इस आवश्यकता के लिए मनुष्य ने बहुत से प्रयोग किये जैसे उसने चिन्हों का उपयोग किया जो उसने पत्थर पर या मिट्टी पर बनाये | मनुष्य ने समय के साथ साथ एक भाषा जैसे सशक्त माध्यम को विकसित किया | सदियों से मानवों ने बहुत सी भाषाओं को विकसित किया | जैसे संस्कृत से लेकर हिंदी, फ़ारसी से लेकर उर्दू और पश्चिमी भाषाओ जैसे अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन इत्यादि हजारों भाषाओं का विकास हुआ
आज यदि विश्व की बात करें तो सम्पूर्ण विश्व में लगभग 5000 से लेकर 7000 भाषायें बोली जाती है, जो बताती है की मानव इतिहास में भाषा का विकास होने से सम्पूर्ण मानव जाति का भी विकास हुआ है |
भारतीय दृष्टिकोण
यहाँ हम भारत के दृष्टिकोण से देखते है तो हम पाते है कि भारत विविधताओं से भरा देश है | यहाँ विभिन्न प्रकार की भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधता है | हर राज्य की अपनी एक अलग भाषा है, राजस्थानी लोग राजस्थानी बोलते है, बंगाली बांग्ला बोलते है, केरल में मलयालम बोलते है तथा अन्य राज्यों के लोग अपनी अपनी भाषा में बोलते हैं |
2001 की जनगणना के अनुसार भारत में 122 मुख्य भाषाएं है और 1599 अन्य भाषाएं है | इन भाषाओं में 30 भाषायें ऐसी है जिनको बोलने वालो की संख्या लाखों में है | भारत में सभी भाषाओ में अं
ग्रेजी और फारसी जैसी विदेशी भाषाओं का अपभ्रंश पाया जाया है | भारत में अधिकाँश लोग बहुभाषी होते है जो अपनी मूल भाषा के साथ साथ हिंदी या अंग्रेजी भी बोल सकते है, ऐसे में क्षेत्रीय भाषाओ की महत्ता मुख्य भाषाओं से कम नहीं है |
भारतीय भाषाओं के समूह
भारत में भाषाओं को इतिहास एंव भौगोलिकता के अनुसार मुख्य तया निम्न वर्गो में वर्गीकृत किया गया है
•भारतीय आर्य भाषा समूह
यह भारतीय भाषाओ का सबसे विराट समूह है 70 प्रतिशत से अधिक भारतीय इस समूह की भाषाओं को बोलते है | हिंदी इस समूह की प्रमुख भाषा है अन्य भाषाओ में राजस्थानी, बांग्ला, गुजराती, पंजाबी प्रमुख है |
द्रविड़ भाषा समूह
यह दूसरा सबसे बड़ा समूह है इस समूह में दक्षिण भारतीय भाषाएं जैसे तमिल, मलयालम, तेलुगु इत्यादि है |
इन भाषा समूहों के अलावा भारत में बहुतायत में लोग अंग्रेजी भी बोलते है | असल में अंग्रेजी कई बार भारत के भिन्न भाषी लोगो को जोड़ने वाली भाषा बन जाती है, सभी प्रकार की उच्च शिक्षा भी अंग्रेजी माध्यम में ही उपलब्ध है इस प्रकार भारत में अंग्रेजी की महत्ता बहुत बढ़ गई है
क्षेत्रीय भाषाओं का महत्त्व
क्षेत्रीय भाषाएं भारत की विविधता को प्रदर्शित करती है और इसलिए हम भारतीय लोगो का यह कर्त्तव्य बनता है की हम मातृ भाषा की रक्षा करें | आज के युग में राजस्थान जैसे राज्य में लोग राजस्थानी भाषा के अपेक्षा हिंदी व अंग्रेजी को अधिक महत्त्व देने लगे है यह ही नहीं लोगो को राजस्थानी भाषा बोलने में भी लज्जा की अनुभूति होती है | वहीँ हम देखते है की अन्य राज्यों जैसे पंजाब, गुजरात इत्यादि राज्यों या दक्षिण भारत के राज्य अपनी भाषा को अत्यधिक महत्त्व देते है और अपनी भाषा में ही आपस में बात करते है | कुछ लोग राजस्थानी बोलने वालो को उपेक्षा के दृष्टिकोण से देखते है, तथा अपने बच्चो को भी घर में हिंदी बोलने के लिए बाध्य करते है | हमें चाहिए कि हम अपनी भाषा, लोक साहित्य, लोक संगीत की रक्षा करें और उन्हें आगे प्रोत्साहित करें |
इस आर्टिकल को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े - The Language Evolution
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