"सोने री धरती अठे, और चाँदी रो आसमान रंग रंगीलो रस भरयो, म्हारो प्यारो राजस्थान...केसरिया बालम आवो नी पधारो म्हारे देश"
राजस्थानी भाषा का इतिहास और आगे की चुनौतियाँ (भाग 1)
राजस्थानी लोक गीत केसरिया बालम की ये कुछ पंक्तियाँ राजस्थान के बारे में एक संक्षिप्त परिचय तो दे ही देती है, राजस्थान जिसकी धरती सोने सी है और आसमान चांदी सा और यहाँ चारों तरफ अलग अलग रंग भी दिखाई दे ही जाते है | ये चंद पंक्तियाँ राजस्थानी भाषा के बारे में भी ये बता ही देती है की यहाँ की भाषा कितनी समृद्ध है | राजस्थान के समृद्धशाली इतिहास में राजस्थानी भाषा का बहुत महत्व रहा है |
राजस्थान का इतिहास राजाओं और उनके राज्यों के इतिहास के बिना अधूरा है | राजस्थान पर बहुत से शाही घरानों ने राज किया जिनको महाराजा, सवाई, महाराणा इत्यादि नामो से जाना जाता है | राजस्थान पर मुख्यतया शासन राजपूत शासकों ने किया, अतः राजस्थान को स्वतंत्रता से पूर्व राजपूताना के नाम से भी जाना जाता था | इन राजाओं के बारे में बहुत सा इतिहास कविताओं के रूप में स्थानीय बोलियों जैसे मारवाड़ी, शेखावाटी, मेवाती, बागड़ी, हाडौती, मेवाड़ी, और धुधाड़ी इत्यादि में उपलब्ध है | इन कविताओं में कवियों ने राजाओं के वीरता को अपनी कलम से कागज़ पर उतारा हैं | ऐसी समस्त बोलियों कि राजस्थानी भाषा के विकास में समान हिस्सेदारी है | राजस्थानी भाषा में लिखा यह साहित्य ना केवल राजस्थानी भाषा की विरासत है अपितु यह सम्पूर्ण राजस्थान के लिए भी एक गर्व का विषय है |
- राजस्थानी भाषा का इतिहास
राजस्थानी भाषा एक भारतीय आर्य भाषा है जिसका जन्म संस्कृत से हुआ है | भारतीय भाषा कुछ भाषा विशेषज्ञों का मानना है की राजस्थानी भाषा का विकास प्राकृत भाषा की शाखा डिंगल से हुआ है | डिंगल से मारवाड़ी और गुजराती भाषा का विकास हुआ है, वहीं संस्कृत की एक शाखा पिंगल से खड़ी हिंदी और ब्रिज भाषा विकसित हुए, भाषा विशेषज्ञों के अनुसार राजस्थान की प्रमुख भाषा मारवाड़ी है (मारवाड़ी का पहले नाम मरुभाषा कहा गया था ) | डॉ सुनीति कुमार चटर्जी ने राजस्थानी भाषा के लिए मारवाड़ी या डिंगल शब्दों का प्रयोग किया है |
- राजस्थानी भाषा का वितरण
भारत में भाषा के वितरण को जानने के लिए जॉर्ज ग्रियर्सन ने एक सर्वे करवाया था, इस सर्वेक्षण के अनुसार राजस्थानी भाषा ना केवल राजस्थान में बोली जाती है अपितु यह गुजरात, पंजाब तथा हरियाणा के कुछ भागो में भी बोली जाती है | भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के कुछ क्षेत्र जैसे बहावलपुर, थारपारकर तथा मुल्तान प्रान्त में भी राजस्थानी भाषा को बोला जाता है उसके पश्चात बहावलपुर और मुल्तान में यह रियासती और सरीकी भाषा के साथ मिश्रित हो जाती है | उसके बाद यह पाकिस्तान के सुक्कुर और उमरकोट में सिन्धी भाषा के साथ संपर्क में आती है | यहीं नहीं राजस्थानी भाषा लाहौर में भी कुछ भागो में बोली जाती है |
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