Tuesday, 2 May 2017

डाक्यूमेंट्री में दिखे कैमल फेस्टिवल के खुबसूरत रंग



"बीकानेर कैमल फेस्टिवल" 2017 जो की बीकानेर में जनवरी माह में संपन्न हुआ था उसकी बेहतरीन डाक्यूमेंट्री  बीकानेर की उभरती फिल्म मेकिंग कंपनी गोल्डन सैंड प्रोडक्शन द्वार हालही में 28 अप्रैल को रिलीज़ कि गयी इसमें बीकानेर कैमल फेस्टिवल को बेहद खुबसूरत रूप में दिखाया गया है डाक्यूमेंट्री  को दो भाग में   रिलीज़  किया गया है पहले भाग में कैमल डांस और कुतले खान की पर्फोमेंस जेसे बेहतरीन नज़ारे आप को बांधे रखते है और दुसरे भाग में  heritage walk को बड़े खुबसूरत ढंग से फिल्माया गया है कुल मिलकर इसे कैमल फेस्टिवल पर बनी अब तक की सबसे  बेहतरीन डाक्यूमेंट्री कहा जाये तो गलत नहीं होगा | 
 डाक्यूमेंट्री  यहाँ देखे :

Monday, 17 April 2017

भारत को गरीब देश बताने वाले स्नैपचैट को मिला बहुत बड़ा झटका

स्नैपचैट के सीईओ इवान स्पीगल के भारत को लेकर दिए गए विवादित बयान के बाद उसे बड़ा झटका लगा है. भारत 'गरीब देश' बताने वाले  स्नैपचैट की गूगल ऐप स्टोर पर 'पांच स्टार' वाली रेटिंग 'एक स्टार' पर आ गई है.


ऐप स्टोर के ऐप इनफो के अनुसार, रविवार को इस कंपनी के हाल के वर्जन वाले ऐप की उपभोक्ता रेटिंग(Consumer rating) 'एक स्टार' (6,099 रेटिंग पर आधारित) थी और सभी वर्जनों की रेटिंग 'एक और आधा स्टार' (9,527 रेटिंग पर आधारित) थी. एंड्रोएड प्ले स्टोर के लिए ऐप की रेटिंग 'चार स्टार'(11,932,996 रेटिंग पर आधारित) थी.

'ये ऐप अमीरों के लिए है मैं इसे भारत में नहीं ले जाना चाहता' 

अमेरिका की एक न्यूज वेबसाइट वैरायटी के अनुसार, शनिवार को स्नैपचैट के पुराने कर्मचारी एंटोनियो पोमपिआनो ने बताया कि कंपनी के सीईओ इवान स्पीगेल ने सितंबर 2015 को उनसे कहा था कि यह ऐप केवल अमीर लोगों के लिए है. मैं इसे गरीब देशों जैसे भारत और स्पेन में नहीं ले जाना चाहता.

Monday, 27 March 2017

प्रीती झांगियानी 28 मार्च को बीकानेर में



प्रसिद्ध अभिनेत्री प्रीती झंगियानी कल बीकानेर आ रही हैं. प्रीती बीकानेर में अपनी राजस्थानी फिल्म तावड़ो के प्रमोशन के लिए बीकानेर आ रहीं हैं.  प्रीती झंगियानी ने सभी प्रमुख बॉलीवुड अभिनेताओं के साथ काम किया है. उनके द्वारा की गई फिल्मों में प्रमुख फिल्म मोहब्बते हैं. बीकानेर में तावड़ो को लेकर गजब के उत्साह का वातावरण बना हुआ है. इस उत्साह को देखते हुए प्रीती ने खुद बीकानेर आने का निर्णय लिया. बीकानेर में प्रीती  बीकानेर इंजीनियरिंग कॉलेज में सुबह 10 बजे एक सेमिनार में भी शिरकत करेंगी जिसमे आर्ट कल्चर और ड्रामा सम्बंधित चर्चा होगी. वो इसीबी के छात्र छात्राओं को संबोधित भी करेंगी.  
इवेंट ज्वाइन करने के लिए यहाँ क्लिक करे - EVENT TAAWDO

गौर तलब है की तावड़ो एक राजस्थानी फिल्म है जिसमे प्रमुख भूमिका प्रीती झंगियानी निभा रहीं हैं. तावड़ो फिल्म के बारे में यह भी कहा जा रहा है की वो राजस्थानी सिनेमा इतिहास की सबसे बड़ी हिट फिल्म भी साबित हो सकती हैं.
तावड़ो फिल्म में प्रीती के अलावा भी कई बॉलीवुड के कलाकार हैं जिनमे प्रदीप काबरा, सचिन चौधरी, और ओमकार दास प्रमुख हैं. फिल्म का संगीत मशहूर फिल्म संगीत निर्देशक ललित पंडित ने दिया है और इस फिल्म के गाने भी प्रसिद्ध गायक शान और दिव्या कुमार के द्वारा गायें गए हैं.              

Saturday, 18 March 2017

बॉलीवुड सिंगर दिव्या कुमार ने गाया राजस्थानी फिल्म तावड़ो का शीर्षक(टाइटल) गीत


दिव्या कुमार एक बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक है जिन्होंने बॉलीवुड के कई हिट गानों को अपनी आवाज से नवाजा है. दिव्या कुमार एक संगीतकारों के परिवार से सम्बन्ध रखते हैं. उनके दादा श्री शिवराम और उनके पिता भगवान शिवराम भी एक संगीत कार रह चुके हैं. उनके दादाजी श्री शिवराम ने कई क्षेत्रीय फिल्मों में अपना संगीत दिया और उन्होंने मशहूर निर्देशक वी शांताराम के साथ भी काम किया है. दिव्या कुमार के पिता भी एक संगीतज्ञ है उन्होंने भी कई मशहूर संगीतकारों जैसे – आर डी बर्मन, जतिन-ललित और हिमेश रेशमिया के साथ काम किया है.

शुरुआती करियर

दिव्या कुमार ने 8 साल की आयु से ही गाना प्रारम्भ कर दिया था, परन्तु बचपन में गाने के प्रति उनका लगाव इतना नहीं था और इसी कारण उन्होंने बहुत कम ही स्टेज शो किये. उन्होंने दूसरा करियर भी चुनना चाहा परन्तु उनकी माताजी ने उनको संगीत में ही करियर बनाने की सलाह दी. बाद में वो कल्याण जी आनंद जी के समूह में शामिल हो गए और उनके साथ बहुत से शो में नजर आये. बाद में उन्होंने कल्याण जी आनंद जी के अन्य शिष्यों जैसे  सुनिधि चौहान, जावेद अली, श्रेया घोषाल के साथ बहुत से स्टेज शो किये हैं.]


Taawdo Title Song By Divya Kumar

बॉलीवुड करियर  
दिव्या कुमार का पहला बॉलीवुड ब्रेक गजराज सिंह ने अपनी फिल्म टूटिया दिल के लिए दिया. तब से लेकर आज तक दिव्या कुमार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा है उन्होंने बहुत से पोपुलर गाने गायें है जैसे ‘काई पो छे’ फिल्म का ‘शुभारम्भ’, ‘शुद्ध देशी रोमांस’ का ‘चंचल मन अति रैंडम’ और हम्पटी शर्मा की दुल्हनियां के लिए भी गाने गायें.   
दिव्या कुमार ने फरहान अख्तर की फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ के लिए ‘मस्तानो का झुण्ड’ जो की हवन करेंगे नाम से ज्यादा मशहूर है, गाया. यह गाना बहुत हिट हुआ. उसके बाद दिव्या कुमार ने ‘फाइंडिंग फेन्नी’ और ‘घनचक्कर’ फिल्म के लिए भी गाने गाये. दिव्या कुमार एम टीवी के प्रसिद्ध शो “MTV Unplugged” में भी आ चुके हैं . ‘सतरंगी ससुराल’ नामक एक धारावाहिक के लिए भी दिव्या कुमार अपनी आवाज दे चुके हैं.   

तावड़ो से जुड़ाव

दिव्या कुमार ने राजस्थान की फिल्म तावड़ो के लिए अपनी आवाज का जादू बिखेरा हैं, तावड़ो फिल्म में दिव्या कुमार ने टाइटल ट्रैक ‘तावड़ो’ गाया हैं. यह बात सबको विदित है की तावड़ो आधुनिक राजस्थान की सबसे बड़ी हिट फिल्म होने जा रही हैं. इसे राजस्थानी फिल्मों की मदर इंडिया भी कहा जा रहा है. दिव्या कुमार जैसे कलाकारों का तावड़ो के साथ जुड़ना इस फिल्म और सम्पूर्ण राजस्थान के लिए एक गर्व की बात है.   

Monday, 13 March 2017

वो 5 कारण जिसके लिए "तावड़ो" फिल्म आप को जरुर देखनी चाहिए



जब से राजस्थानी फिल्म तावड़ो बननी शुरू हुई है तभी से राजस्थानी सिनेमा जगत में गजब का उत्साह है. लोग इस तावड़ो फिल्म को लेकर अति उत्साहित है क्योंकि एक अनुमान के अनुसार यह राजस्थानी भाषा की सबसे बड़ी हिट फिल्म भी हो सकती है. यह फिल्म 31 मार्च 2017 को रिलीज़ होगी. इस फिल्म के निर्माता तेजकरण हर्ष हैं और तावड़ो के निर्देशक विजय सुथार है. यहाँ हम उन पांच कारणों की बात करेंगे जिनके कारण सभी राजस्थानियों को यह फिल्म देखनी चाहिए.   

1.क्योकि यह एक राजस्थानी फिल्म है : एक राजस्थानी होने के नाते हमारा कर्तव्य है की हम अपनी संस्कृति को बढ़ावा देंवे और उसका पोषण करें. फिल्म एक सशक्त माध्यम है अपनी संस्कृति का प्रचार प्रसार करने का. इसके अतिरिक्त ये फिल्म राजस्थानी भाषा में बनी है. राजस्थानी भाषा आज बहुत सी चुनौतियों से गुजर रही है यहाँ तक की लोग अपने घर में भी बच्चो से राजस्थानी में बात करना पसंद नहीं करते. बल्कि एक तथ्य ये भी है की राजस्थानी भाषा किसी भी दृष्टिकोण से किसी भी अन्य भाषा से कम नहीं है. यदि हम इस फिल्म तावड़ो को देखते है और इसे सफल बनाते है तो और भी लोग आगे आयेंगे और ऐसे अन्य नवाचार भाषा के पोषण के लिए करेंगे और इस फिल्म की सफलता राजस्थानी भाषा के विकास के लिए एक छोटा सा कदम होगा जिसे आप और हम मिलकर बढ़ाएंगे.
2.तावड़ो द्वारा तीन अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड का जीतना: तावड़ो फिल्म ने राजस्थान अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (रिफ) में तीन अवार्ड भी जीतें है. इस महोत्सव में पूरे विश्व से फिल्मे दिखाई जाती है, इस बार भी इस फिल्म महोत्सव में फ्रेंच, इटालियन इत्यादि फिल्मे आई परन्तु बाजी मारी तावड़ो ने. तावड़ो ने इस महोत्सव (रिफ) में 3 अवार्ड जीते जिनमे सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का अवार्ड और सर्वश्रेष्ठ संगीत का अवार्ड भी शामिल है और इस फिल्म ने बेस्ट फिल्म का अव्वार्ड भी जीता है. तावड़ो का  अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड जीतना सम्पूर्ण राजस्थान के लिए एक अत्यंत गर्व की बात है और आपको इस फिल्म को जरुर देखना चाहिए.
      
                                               
                  
3.प्रीती झिंगयानी की दमदार भूमिका: प्रीती झिंगयानी को आज किसी परिचय की आवश्यकता नहीं हैं. प्रीती बड़े बड़े बैनर जैसे यशराज फिल्म्स के साथ काम कर चुकी है और शाहरुख़ खान जैसे बड़े सुपर स्टार के साथ काम कर चुकी है. प्रीती मोहब्बतें फिल्म में जिमी शेरगिल के सामने थी इसी फिल्म में शाहरुख़ खान की प्रमुख भूमिका थी. एक इंटरव्यू में जब प्रीती झिंगयानी से पूछा गया की आपने राजस्थानी फिल्म क्यों की तो उन्होंने बताया की तावड़ो फिल्म की कहानी ने उनके दिल को छु लिया और वो झट से इस फिल्म में काम करने के लिए तैयार हो गयी. प्रीती झिंगयानी जैसे बड़ी हस्ती का राजस्थानी फिल्म के साथ जुड़ना यह बताता है की राजस्थान की फ़िल्में किसी से कम नहीं है और जरुरत है तो सिर्फ उत्साह बढाने की. यदि यह फिल्म सफल होती है तो हम देखेंगे की आने वाले समय में और भी बड़े बॉलीवुड सितारे राजस्थानी फिल्म में काम करने लिए आतुर होंगे. इस फिल्म के लिए प्रीती झिंगयानी ने RIFF अवार्ड भी जीता है |

4.फिल्म का संगीत:
इस फिल्म का संगीत जाने माने संगीत क़र ललित पंडित के द्वारा दिया गया है. ये वो ही ललित पंडित है जो पहले जतिन ललित की जोड़ी में साथ संगीत दिया करते थे. जतिन-ललित की जोड़ी ने भारतीय सिनेमा को बहुत सी यादगार संगीतमयी फ़िल्में दी है. जतिन ललित की जोड़ी ने ‘दिल वाले दुल्हनियां ले जायेंगे, मोहोब्बतें, कुछ कुछ होता है, जो जीता वो सिकंदर जैसे ना जाने कितनी फिल्मों में अपना संगीत दिया है. तावड़ो में उनका जुड़ना एक अच्छे संगीत की गारंटी तो दे ही देता है. तावड़ो फिल्म के लिए ललित पंडित को RIFF अवार्ड भी मिला है | ललित पंडित से जब तावड़ो फिल्म के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया की वो इस फिल्म की कहानी से बहुत प्रभावित हुए और इस फिल्म की कहानी बहुत ही संवेदनशील है और इस कारण उन्होंने अपने पहली राजस्थानी फिल्म में संगीत दिया है | यदि आप ललित पंडित के फेन है तो आपको ये फिल्म अवश्य देखनी चाहिए |
इस फिल्म में ललित पंडित ने गाने प्रसिद्ध गायक शान और दिव्या कुमार से गवाएं है जिन्होंने बहुत से हिट गाने गायें है. शान ने लगभग सभी बड़े हिंदी सिनेमा के अभिनेताओं के लिए अपनी आवाज दी है, चाहे वो शाहरुख खान हो, सलमान खान हो, आमिर खान हो चाहे हृतिक रोशन हो या कोई अन्य बॉलीवुड स्टार हो | शान द्वारा गाये गए गानों में ‘चाँद सिफ्रारिश, ‘बहती हवा सा था वो’, ‘आज उनसे मिलना है हमें’, ‘तनहा दिल’, ‘हे शोना’, ‘जब से तेरे नैना इत्यादि है. दिव्या कुमार भी एक प्रसिद्ध गायक है जिन्होंने अपनी आवाज कई बॉलीवुड फिल्मों में दी है उनके द्वारा गाये गए गाणों में प्रमुख गाने है ‘आफतों के परिंदे’, ‘हवन करेंगे’, ‘शुभारम्भ’ आदि. शान इस समय वौइस् इंडिया नामक शो में जज की भूमिका भी निभा रहे हैं.  

5.बड़े बजट की फिल्म: तावड़ो फिल्म राजस्थानी भाषा की फिल्मों में बनने वाली फिल्मो में सबसे अधिक बजट की फिल्मों में से एक है. इस फिल्म में ना केवल स्थानीय कलाकारों ने काम किया है बल्कि कई बड़े बॉलीवुड के कलाकारों ने भी काम किया है. आपको यह फिल्म देखनी चाहिए और इसका प्रचार करना चाहिए क्योंकि इससे और भी बड़े बजट की फिल्मे राजस्थान में बनेंगी और राजस्थानी फिल्म इंडस्ट्री भी अन्य राज्यों की फिल्म इंडस्ट्री जैसे दक्षिण भारत की फिल्म इंडस्ट्री, या भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की तरह स्थापित हो सकेगी.   

बॉलीवुड के साथ कनेक्शन: तावड़ो फिल्म में बहुत से कलाकार बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री से है. जिनमे से मशहूर कलाकार प्रदीप काबरा भी हैं, काबरा को आपने कई फिल्मो में खलनायक की भूमिका में देखा होगा, प्रदीप काबरा इससे पहले सुपरस्टार सलमान खान, ह्रितिक रोशन और शाहिद कपूर के साथ काम कर चुके हैं |डांस इंडिया डांस में अपना जलवा दिखा चुके बाल कलाकार सचिन चौधरी भी इस फिल्म में एक प्रमुख भूमिका में हैं. आपको पिपली लाइव फिल्म के नत्था (ओमकार) तो याद होंगे ही, वो भी इस फिल्म में अपनी दमदार भूमिका में हैं. पिपली लाइव के नत्था के रोल को आमिर खान खुद करना चाहते थे किन्तु उन्होंने इस रोल के लिए ओमकार को चुना. सूत्रों के अनुसार तावड़ो में ओमकार का रोल देखकर लोग पेट पकड़ कर हंसने को मजबूर हो जायेंगे |  आप कल्पना कर सकते है की इतने बड़े बड़े बॉलीवुड कलाकार यदि राजस्थानी फिल्म में होंगे तो फिल्म कितनी मनोरंजक होगी. यदि आप इन कलाकारों के फेन है तो आपको यह फिल्म अवश्य देखनी चाहिए.   


ये कुछ कारण थे जिनके कारण आपको तावड़ो फिल्म देखनी चाहिए. आशा करते है की यह पोस्ट आपको पसंद आई होगी. इस पोस्ट को आगे शेयर करें और आपके यदि कोई सुझाव हैं तो कमेंट बॉक्स में अवश्य देंवे |

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Thursday, 9 March 2017

राजस्थानी फिल्म तावड़ो: बॉलीवुड कनेक्शन


 Taawdo the film

जब से तावड़ो फिल्म का निर्माण शुरु हुआ तब से ही राजस्थानी फिल्म के प्रशंसको में एक गजब सा उत्साह देखने को मिल रहा है, इसकी एक तो वजह यह है की यह एक बहुत बड़े बजट की फिल्म है | इसके अतिरिक्त एक कारण यह है की इसमें बहुत से शीर्ष बॉलीवुड के कलाकार भी इसमें शिरकत कर रहे है | वहीँ राजस्थानी भाषा के जानकार भी इस बात को लेकर उत्साह में है की बॉलीवुड जैसी बड़ी इंडस्ट्री का साथ राजस्थानी सिनेमा को यदि मिलता है तो राजस्थानी भाषा को प्रचार प्रसार मिल सकता है.

फिल्म का संगीत


इस फिल्म के ना केवल कलाकार बॉलीवुड से है बल्कि इस फिल्म का संगीत भी बॉलीवुड के सुपरहिट म्यूजिक डायरेक्टर जतिन-ललित के ललित पंडित ने दिया है. हाँ वो ही जतिन ललित जिन्होंने ना जाने कितनी हिट फिल्मो के लिए संगीत दिया है. इनके द्वारा दिए गए संगीत में जो जीता वो सिकंदर, दिल वाले दुल्हनियां ले जायेंगे, राजू बन गया जेंटलमैन, ख़ामोशी इत्यादि प्रमुख है. इस फिल्म के कुछ गाने भी प्रसिद्ध गायक शान के द्वारा गाये गए है.


फिल्म के बॉलीवुड कलाकार


तावड़ो फिल्म के प्रति जो उत्साह देखने को मिल रहा है उसका सबसे बड़ा कारण उसके वो अभिनेता है जिन्होंने ना केवल बॉलीवुड में काम किया बल्कि अपना लोहा भी मनवाया है. इसी कड़ी में सबसे पहले बात करते है इस फिल्म की मुख्य नायिका है मोहबत्ते गर्ल प्रीती झिंगयानी, हाँ वो ही प्रीती झिंगयानी जो शाहरुख़ खान और यशराज बैनर के साथ काम कर चुकी है. इतनी बड़ी अभिनेत्री का इस फिल्म के साथ जुड़ जाना इस फिल्म के लिए और समूचे राजस्थानी सिनेमा के लिए गर्व की बात है. इसके अलावा इस फिल्म में बॉलीवुड के ही प्रदीप काबरा, और पिपली लाइव फेम नत्था और बाल कलाकार डांस इंडिया डांस फेम सचिन चौधरी भी इस फिल्म की मुख्य भूमिकाओं में है
राजस्थान के सभी फिल्म प्रसंशकों को यह फिल्म अवश्य देखनी चाहिए जिससे राजस्थानी सिनेमा को मजबूती मिले और दुसरे अन्य फिल्म निर्माता भी राजस्थानी भाषा की फिल्म बनाने के लिए आगे आयें. इससे हमारी भाषा के प्रति लोगो में आदर भी उत्पन्न होगा और यह करने से राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलवाने में भी मदद मिलेगी          

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Tuesday, 7 March 2017

तावड़ो फिल्म: जतिन-ललित परिचय



बहुचर्चित राजस्थानी फिल्म तावड़ो का संगीत निर्देशन मशहूर फिल्म संगीत डायरेक्टर  ललित पंडित ने किया है. ये वो ही ललित पंडित है जो कि पहले जतिन-ललित की जोड़ी के रूप में  संगीत दिया करते थे. ललित पंडित का इस राजस्थानी फिल्म तावड़ो से जुड़ना पूरी राजस्थान सिनेमा जगत  के लिए एक अत्यंत गर्व की बात है. ललित पंडित के निर्देशन में इस फिल्म का संगीत बहुत ही  मधुर बन पड़ा है. जतिन ललित की जोड़ी ने भारतीय सिनेमा को बहुत से मधुर नगमें दियें है और बहुत सी बड़ी बड़ी फिल्मो का संगीत भी उन्हीं ने दिया है. आइये बात करते है जतिन ललित के इस संगीत यात्रा की.
जतिन-ललित परिचय
जतिन और ललित दोनों भाई है और एक महान संगीत की सेवा करने वाले परिवार से ये सम्बन्ध रखते है. ये जोधपुर के मेवाती घराने के संगीतकार है. ये संगीत मार्तंड पंडित जसराज के भतीजे है, इनके पिता का नाम पंडित प्रताप नारायण है, इन्होने (दोनों भाइयों ने ) गिटार और पियानो की शिक्षा मशहूर संगीत निर्देशक लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के प्यारेलाल रामप्रसाद शर्मा से ली. इनकी 2 बहिने है सुलक्षणा पंडित और विजेता पंडित. विजेता पंडीत स्वर्गीय संगीत निर्देशक आदेश श्रीवास्तव की पत्नी है.
संगीत का करियर
जतिन-ललित का संगीत निर्देशन का सफ़र 1991 में फिल्म यारा दिलदार से शुरू हुआ , हालाँकि यह फिल्म एक फ्लॉप फिल्म साबित हुई, परन्तु इस फिल्म के एक गाने ‘बिन तेरे सनम’  ने धूम मचा दी. परन्तु इनको पहचान मिली जो जीता वो सिकन्दर के गाने ‘पहला नशा’ से यह रोमांटिक गाना बहुत हिट हुआ और इस गाने ने जतिन ललित को बॉलीवुड के प्रमुख संगीतकारों में खड़ा कर दिया. इस गाने के लिए उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड से भी सम्मानित किया गया. जतिन ललित ने शाहरुख़ खान की फिल्म दिलवाले दुल्हनियां ले जायेंगे के लिए संगीत दिया. यह उनके करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई. इन सब के अलावा जतिन-ललित ने मोहब्बतें,कभी ख़ुशी कभी गम,चलते चलते और फन्ना जैसी कई सुपरहिट फिल्मों के लिए संगीत दिया.


अलगाव          
सोलह साल साथ काम करने के बाद जतिन और ललित कुछ व्यक्तिगत कारणों से अलग हो गए और अलग अलग फिल्म का संगीत देने लगे.
अलगाव के पश्चात ललित पंडित ने बहुत से फिल्मो में संगीत दिया है. मशहूर गाना मुन्नी बदनाम हुई  भी ललित पंडित के संगीत निर्देशन में तैयार हुआ . जिसके लिए उन्हें साजिद-वाजिद के साथ फिल्म फेयर अवार्ड भी दिया गया.
तावड़ो से जुड़ाव

हमें अब ललित पंडित का संगीत राजस्थान की फिल्म तावड़ो में भी सुनने जो मिलेगा. इससे हम संगीत की गुणवत्ता का अंदाजा लगा सकते है, ललित पंडित को फिल्म की पटकथा बहुत पसंद आई और इन्होने राजस्थान को ध्यान में रखते हुए इस फिल्म का संगीत तैयार किया है.

तावड़ो फिल्म जो की एक अनुमान के अनुसार राजस्थान की सबसे बड़ी हिट फिल्म होगी, राजस्थान के सिनेमा और राजस्थानी भाषा के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है.

राजस्थान की प्रमुख हस्तियाँ (दूसरा भाग)


इस श्रृंखला के प्रथम भाग में हमने राजस्थान के कुछ फिल्म निर्माताओं के बारे में जाना जिन्होंने पूरे विश्व में राजस्थान का नाम रोशन किया. इस श्रृंखला के द्वितीय चरण में हम कुछ ऐसे संगीतकारों की बात करेंगे जिन्होंने हिंदी फिल्म जगत में राजस्थान का नाम प्रज्वलित किया है .

राजस्थान के प्रमुख फिल्म संगीतकार

राजस्थान का संगीत सम्पूर्ण विश्व में पसंद किया जाता है और राजस्थान को उसके संगीत के लिए भी जाना जाता है. राजस्थान के कलाकार समस्त विश्व में जाते है और अपनी कला का प्रदर्शन करते है, उसी प्रकार राजस्थान के संगीतकारों ने हिंदी फिल्म जगत में भी यादगार काम किया है. राजस्थान ने भारतीय फिल्मों के संगीत को उनके सबसे प्रतिभावान संगीतकारों में से कुछ दिए है, आज इस आर्टिकल में हम उन संगीतकारों के बारे में चर्चा करेंगे.      

गुलाम मोहम्मद  

गुलाम मोहम्मद का जन्म राजस्थान के बीकानेर जिले के एक संगीतकारों के परिवार में हुआ. इनके पिता श्री नबी बक्श जी एक प्रसिद्ध तबला वादक थे. 1924 में ये मुंबई आ गए और यहाँ आके संघर्ष किया. 1932 में आठ सालों के संघर्ष के पश्चात उनको (गुलाम मोहम्मद ) को सरोज मूवी टोन की एक फिल्म में तबला वादक का काम मिला.     
इनकी संगीत की इस यात्रा का प्रारम्भ मशहूर संगीतकार नौशाद के सहायक के रूप में हुआ, इन्होने अनिल बिस्वास के साथ भी कार्य किया. इनको इनके द्वारा संगीतबद्ध एक फिल्म मिर्जा ग़ालिब के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला. इन्होने मशहूर फिल्म पाकीजा में अपना संगीत दिया. पाकीजा फिल्म के संगीत को भारतीय सिनेमा के सर्वश्रेष्ट  संगीतो में से एक माना जाता है. इन्होने ना केवल हिंदी फिल्मो बल्कि कुछ क्षेत्रीय फिल्मों में अपना संगीत दिया.
इनकी मृत्यु 17 मार्च 1968 को हुई, इनकी मृत्यु पाकीजा के रिलीज़ से पहले ही हो गयी थी. इनके द्वारा की गयी प्रमुख फिल्मो में बांके सिपाही, मेरे ख्वाब, गृहस्थी, गुजारा, मिर्जा ग़ालिब और पाकीजा प्रमुख हैं .            

खेमचंद प्रकाश

राजस्थान के ही एक और संगीत कार हुए खेमचंद प्रकाश. इनका जन्म सुजानगढ़, चुरू जिले में 12 दिसम्बर 1907 को  हुआ. इन्होने भारतीय हिंदी फिल्मो के आरंभिक दिनों में ही संगीत देना प्रारंभ कर दिया था. लता मंगेशकर के साथ इनकी जोड़ी बहुत हिट रही. अपनी किशोर अवस्था में इन्होने बीकानेर के राज घराने में गायक के तौर पर कार्य किया इसके पश्चात वो नेपाल चले गए जहाँ उन्होंने नेपाली राज घराने में नौकरी की तत्पश्चात वो कलकत्ता आ गए जहाँ उन्होंने संगीतकार तिमिर बरन के सहायक के रूप में देवदास नमक फिल्म में कार्य किया.    
  
हिंदी फिल्मो में इन्होने अपनी यात्रा ‘दीवाली’,’होली’,’परदेशी’,’फरियाद’ नामक फिल्मों के साथ की. इन्होने ने प्रसिद्ध गायक किशोर कुमार को सन 1948 में प्रथम बार जिद्दी फिल्म से परिचित करवाया. इनके द्वारा दिए गए संगीत में तानसेन सबसे बड़ी हिट फिल्म थी. लता मंगेशकर भी इन्ही द्वारा स्वरबद्ध गीत आएगा आने वाला से प्रसिद्ध हुई.
इनकी मृत्यु मात्र बयालीस वर्ष की अल्पायु में ही हो गयी थी. ये अपनी फिल्म महल के रिलीज़ से 2 महीने पहले गुजर गए थे |       

तोशी साबरी

यदि हम आज के ज़माने के संगीतकारों की बात करें तो भी राजस्थान बहुत पीछे नहीं है. राजस्थान के जयपुर के तोशी साबरी आज राजस्थान का नाम रोशन कर रहे हैं. तोशी ने बहुत से फिल्मों में अपना संगीत दिया है. तोशी साबरी एक संगीत के रियेलिटी शो अमूल स्टार वौइस् ऑफ़ इंडिया के द्वारा खोजे गए और इन्होने अन्य रियेलिटी शो जैसे उस्तादों के उस्ताद और जो जीता वो सुपर स्टार में भी भाग लिया. तोशी ने बहुत सी फिल्मो में संगीत दिया है जैसे राज, जेल, प्यार का पंचनामा 2, हम्प्टी शर्मा की दुल्हनियां, घोस्ट और 1920 आदि.            

यह आर्टिकल राजस्थान की प्रमुख हस्तियों नामक श्रृंखला का एक भाग है श्रृंखला अभी जारी रहेगी, कृपया कर इस आर्टिकल को शेयर करें और अपने सुझाव कमेंट बॉक्स में देवें  

Read This Blog In english here - Rajasthan Famous Personalities

Rajasthan Famous Personalities (Part 2)

Rajasthan Famous Personalities (Part 2)
In the first section of this series, we knew about some of the renowned movie producers who were from Rajasthan. Now we will talk about some of the music composers who are from Rajasthan, and they are known for their work in the whole world.

Famous music composers from Rajasthan

Rajasthan is known for its music, its folk music is liked all over the world. Artists from Rajasthan travels all over the globe to present their art. Rajasthan’s role in film music can not be overlooked. Rajasthan has given some of the most talented music directors in our Indian film Industry. We will talk about some of them.

Ghulam Mohammed

Ghulam Mohammed was born in Bikaner, Rajasthan. He was born into the family of the musicians, His father Nabi Baksh was a famous Tabla player. In  1924 he came to Mumbai and struggled there. In 1932 after 8 years of struggle he got his first work as the Tabla Player in Saroj Movietone's Productions' "Raja Bharthari".
In Music Composition his journey started as assistant music director of famous music director Naushad in Kardar Productions and also worked as an assistant to the Anil Biswas. He got National Film Award for his music in film Mirza Ghalib. His score in film Pakeezah is still considered as one of the all-time great music of Indian Cinema. He not only given music to the Hindi movies but also provided music to some regional movies.
He died on 17 March 1968, before his biggest hit Pakeezah was released. Some of the movies done by him are Banke Sipahi, Mere Khwab, Grihasti, Gujara, Mirza Ghalib, Pakeezah, etc.

Khemchand Prakash

Khemchand Prakash was another music composer who belonged to Rajasthan. He was born in Sujangarh in Churu district in Rajasthan. He was born on 12 December 1907. He started giving music in films from very early days of Bollywood cinema. Lata Mangeshkar had a fruitful association with him in her early days. In his teen years, he joined Bikaner Royal Court as a singer and later moved to Nepal royal court. He was assistant to Music composer Timir Baran in his film Devdas in the year 1935.
He debuted as a music director with movies named ‘Diwali’,’Holi’, ‘Pardeshi’, ‘Fariyad’, etc. He gave a first major break to Kishor Kumar in the year 1948 in the film named ‘Ziddi’. Tansen was the biggest hit he ever produced. The song ‘jagmag jagmag diya jalao’ was the biggest hit of that time. He made Lata Mangeshkar famous first time at that point. His composed music ‘aayega aane wala’ was the song which Lata sang which made her famous.
He died at the very young age of 42 in the year 1950. He had died 2 months before his movie Mahal released.

Toshi Sabri

If we talk in modern time of music composers, Rajasthan has not left behind. Toshi Sabri has given music to many films. Toshi Sabri came to light when he participated in a reality show Star Voice of India. He participated in other reality shows like Ustaado ke Ustaad and Jo Jeeta Wo Super Star. He belongs to Jaipur, Rajasthan. He has given music to many films like Raaz, Jail, Pyar Ka Punchnama 2, Humpty Sharma ki Dulhaniyan, Ghost, 1920, etc.

This is the 2nd part of this series Famous personalities of Rajasthan. This series will continue, please leave your comments and suggestions in the comment box.

Monday, 6 March 2017

भारतीय सिनेमा(बॉलीवुड) में राजस्थान का योगदान


राजस्थान का यह सौभाग्य रहा है कि यहाँ बहुत से प्रतिभावान लोगों ने जन्म लिया जिन्होंने भारतीय सिनेमा में कार्य किया, चाहे वो तकनीकी कार्य हो, गायक हो, संगीत निर्देशक हो, या अभिनेता हो. राजस्थान का योगदान बॉलीवुड के शुरुआती दिनों से ही रहा, ना केवल आर्थिक रूप से बल्कि कला के क्षेत्र में भी राजस्थान के लोगों ने अपना योगदान दिए.  इस आर्टिकल में हम ऐसे  कुछ व्यक्तियों के बारे में बात करेंगे जिन्होंने भारतीय सिनेमा में अपना योगदान दिया.      

फिल्म निर्माता


राजस्थान की धरती ने भारतीय सिनेमा के इतिहास के सबसे ज्यादा सम्मानित निर्माताओं में से कुछ को जन्म दिया है, जैसे ताराचंद बडजात्या, केसी बोकाडिया, सूरज बडजात्या इत्यादि. प्रसिद्ध राजश्री प्रोडक्शन कि स्थापना ताराचंद बडजात्या ने की. राजश्री प्रोडक्शन ने बहुत बड़ी फ़िल्में दी है जैसे ‘हम आपके हैं कौन’ , ‘दोस्ती’, ‘विवाह’, ‘एक विवाह ऐसा भी’ और ‘प्रेम रतन धन पायो’ इत्यादि. केसी बोकाड़िया ने भी बहुत सी फिल्मों का निर्माण किया है.    

फिल्म संगीत

अब बात करते है कुछ ऐसी राजस्थानी शख्सियतों की जिन्होंने भारतीय हिंदी फिल्मों में संगीत के रूप में अपनी सेवायें दी चाहे वो संगीत निर्देशक के रूप में हो, गायक के रूप में हो या गीतकार के रूप में हो हम उनमे से कुछ की आज बात करेंगे  




संगीत निर्देशन

राजस्थान ने बॉलीवुड के कुछ सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशकों में से कुछ को दिया है उनमे से कुछ के बारे में आज कुछ जानते है
गुलाम मोहम्मद : गुलाम मोहम्मद का जन्म राजस्थान के बीकानेर जिले में संगीतकार परिवार में हुआ, वे बाद में मुंबई चले गए जहाँ उन्होंने कुछ साल संघर्ष किया उसके बाद उन्हें एक फिल्म में तबला वादक के रूप में काम मिला उसके बाद उन्होंने कभी मुड़ के नहीं देखा. गुलाम मोहम्मद ने प्रसिद्ध संगीत निर्देशक नौशाद के सहायक के रूप में कार्य किया. गुलाम मोहम्मद को उनकी फिल्म ‘मिर्जा ग़ालिब’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला. भारतीय फ़िल्मी संगीत में उनकी फिल्म ‘पाकीजा’ एक मील का पत्थर साबित हुई. इनकी मृत्यु सन 1968 में हुई.





खेमचंद प्रकाश : खेमचंद प्रकाश राजस्थान के सुजानगढ़ के थे. खेमचंद प्रकाश बॉलीवुड के सर्वप्रथम संगीतकारों में एक थे. इन्होने ही प्रसिद्ध गायक किशोर कुमार को बॉलीवुड में पहला गाना गवाया था. इनकी एक फिल्म महल के एक गाने ‘आएगा आने वाला’ के लिए लता मंगेशकर को पहचान दिलवाई थी. इन्होने नौशाद जैसे बड़े संगीत निर्देशक को बॉलीवुड में पहचान दिलवाई थी. इनकी मृत्यु सन 1950 में केवल 42 वर्ष की आयु में ही हो गई.   





तोशी साबरी :  आज के आधुनिक दौर में भी राजस्थान संगीत निर्देशन में पीछे नहीं है, राजस्थान के जयपुर में पैदा होने वाले तोशी साबरी आज राजस्थान का नाम रोशन कर रहे है. ये एक रियेलिटी शो में अमूल स्टार वौइस् ऑफ़ इंडिया में सर्वप्रथम दिखाई दिए, उसके पश्चात इन्होने कभी  वापस मुड़ के नहीं देखा. इन्होने 2 अन्य रियेलिटी शो उस्तादों के उस्ताद और जो जीता वो सुपर स्टार  में भी भाग लिया. इन्होने ‘राज’, ‘जेल’, ‘हम्प्टी शर्मा की दुल्हनियां’  जैसी कई फिल्मों में संगीत दिया है.



गायक

राजस्थान में ऐसे कई गायक पैदा हुए जिन्होंने ना केवल फिल्मों में अपितु फिल्मों के अलावा भी अपना नाम किया आइये जानते है ऐसे ही कुछ गायकों को जिन्होंने राजस्थान के नाम का परचा समूचे विश्व में फहराया है.
जगजीत सिंह:  जगजीत सिंह किसी परिचय के मोहताज नहीं है, वे एक प्रसिद्ध गज़ल गायक थे. जिनको भारत सरकार ने पदम् भूषण से नवाजा था. इन्होने बहुत सी गजलों को स्वरबद्ध किया और इनके द्वारा गाई गई गजलें समूचे विश्व में सुनी जाती है. इनका जन्म राजस्थान के श्री गंगानगर में एक सिख परिवार में हुआ था. इन्होने अपनी पत्नी चित्रा के साथ बहुत सी गजले गाई है. बहुत सी फिल्मों में भी इन्होने गाया है. इनके द्वारा गाये गए गानों में कागज़ की कश्ती, होशवालों को खबर क्या, चिट्ठी न कोई सन्देश, तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो, तुमको देखा तो ये ख्याल आया इत्यादि प्रमुख है .             
मेहदी हसन: मेहदी हसन का जन्म राजस्थान के झुंझुनूं जिले के लूना गाँव में एक संगीतकारों के परिवार में सन 1927 में  हुआ, आजादी के बाद ये पाकिस्तान चले गए. ये विश्व के एक जाने माने गज़ल गायक थे. इनके बारे में लता मंगेशकर ने एक बार कहा था की इनके कंठ में खुद भगवान बैठा है.  इनकी द्वारा गाई गई कई ग़ज़लें लोकप्रिय है जैसे रफ्ता रफ्ता, रंजिशे सही दिल दुखाने के लिए, जिंदगी में तो सभी इत्यादि प्रमुख है.     

इला अरुण : इला अरुण का जन्म राजस्थान की राजधानी जयपुर में हुआ, इला अपनी भारी आवाज के लिए जानी जाती है, इन्होने बहुत से गाने गाये है बॉलीवुड में. इनके द्वारा गाता गया खलनायक फिल्म का गाना चोली के पीछे क्या है सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. इसके अतिरिक्त इनके द्वारा  लम्हे फिल्म में लता मंगेशकर के साथ गया हुआ गाना मोरनी भी बहुत लोकप्रिय है. इला अरुण ने न केवल हिंदी बल्कि ऐ आर रहमान के निर्देशन में कुछ तमिल गाने भी गायें है       


राजा हसन: राजा हसन का जन्म राजस्थान के बीकानेर जिलें में हुआ, राजा जी सा रे गा मा पा के 2007 संस्करण के उपविजेता रहे थे . राजा ने फिल्मो में कई गाने गाये है. राजा हसन की प्रतिभा विशाल और शेखर ने पहचानी और गाने का पहला मौका दिया. विशाल शेखर ने राजा से दे ताली फिल्म का गाना म्हारी तितरी गवाया. उसके पश्चात राजा ने बहुत से गाने गाये. राजा हसन ने मरुधर म्हारो घर नाम से एक राजस्थानी फिल्म का भी निर्माण किया.      



संदीप आचार्य :






संदीप आचार्य भी बीकानेर में पैदा हुए, संदीप ने भारत का एक मशहूर रियलिटी शो इंडियन आइडल का दूसरा संस्करण  जीता. संदीप ने हिंदी और मारवाड़ी फिल्मों के लिए कई गाने गाये है. 15 दिसम्बर 2013 को उनकी मृत्यु पीलिया रोग के कारण हो गयी   


ये वो कुछ लोग है जिन्होंने फिल्मो में राजस्थान का नाम रोशन किया इनके अलावा भी बहुत से ऐसे लोग है जिन्होंने हिंदी सिनेमा में राजस्थान का नाम रोशन किया है . उनके बारे में बात फिर कभी, तब तक के लिए शेयर करें और अपने सुझाव कमेंट बॉक्स में देवे